Thursday, January 2, 2014

तू तो बस पिये जा, पैमाना मत देख

न जाने कब ख़त्म हो जाये जाम-ए-ज़िन्दगी
तू तो बस पिये जा, पैमाना मत देख

कुछ पाने की हो तमन्ना तो हौसला रख
और उड़े जा, ऊचाई मत देख

चोटी से भी गिरते हैं लोग यहाँ
सम्भल कर बढ़े जा, उपलब्धियाँ मत देख

इन उजालों में भी भटकाव हैं बहुत
मुकाम भी देख, केवल रास्ता मत देख

कितने हीं मिट गयें यह ईमारत बनाने में
बुनियाद भी देख, केवल सजावट मत देख

कब ये शाम रात बन निगल जाये सबको
औरों को जला, जल खुद भी, केवल तमाशा मत देख !

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