मैंने देखा खुद को
चलते हवाओं पे, तुम्हारी ओर
और तुम्हे बादलों पर
चुनते कपास के फूल
मुस्कुराते हुए
लाल रंग के आँसुओं के साथ रोते सूरज को
तुम कर रही थी विदा
दूसरी ओर इठलाता
मन ही मन मुस्काता, चाँद
जो बढ़ रहा था तुम्हारी ओर
देखने खुद को बेदाग
तुम्हारे चेहरे में
और सूरज के आसुओं के छींटे
तुम्हारे होठों पे
टिमटिमाते तारों को
तुम्हारी आँखों से!
महसूस करना चाहता
बादल की सलवटें
तुम्हारी हथेलियों से
बिना बिखेरे बिना बिगाड़े!
तुम्हारे जरिये चाहता
जीना इक नए ढंग से
नयी पहचान के साथ
तेरी बेबोझिल रोशनी में
चाहता निपटाना सूरज का हिसाब
उतार कर उसका प्रकाश !
और मैं
देखता दूर से, तुझे
तेरी रोशनी में
चाँद को
तेरी रोशनी में
बादल को
तेरी रोशनी में
मुस्कुराता
तेरी रोशनी में !
चलते हवाओं पे, तुम्हारी ओर
और तुम्हे बादलों पर
चुनते कपास के फूल
मुस्कुराते हुए
लाल रंग के आँसुओं के साथ रोते सूरज को
तुम कर रही थी विदा
दूसरी ओर इठलाता
मन ही मन मुस्काता, चाँद
जो बढ़ रहा था तुम्हारी ओर
देखने खुद को बेदाग
तुम्हारे चेहरे में
और सूरज के आसुओं के छींटे
तुम्हारे होठों पे
टिमटिमाते तारों को
तुम्हारी आँखों से!
महसूस करना चाहता
बादल की सलवटें
तुम्हारी हथेलियों से
बिना बिखेरे बिना बिगाड़े!
तुम्हारे जरिये चाहता
जीना इक नए ढंग से
नयी पहचान के साथ
तेरी बेबोझिल रोशनी में
चाहता निपटाना सूरज का हिसाब
उतार कर उसका प्रकाश !
और मैं
देखता दूर से, तुझे
तेरी रोशनी में
चाँद को
तेरी रोशनी में
बादल को
तेरी रोशनी में
मुस्कुराता
तेरी रोशनी में !
1 comment:
teri roshani mein....bahut sundar :-)
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