कभी कभी ही सही हमसे मिला करो
हमारी खबर न सही अपनी लिया करो !
कहाँ ढूंढते फिरते हो खुद को दौरे हरम में
शौक न हो भटकने का तो हमसे मिला करो !
हमारे सीने में है तुम्हारी बेचैन धड़कन
खुशबू की तरह ही सही साँसों में बसा करो !
चाँद को देखे गर आँखों में जलन होती हो
आँख मूँद कर ही सही मगर पास रहा करो !
पूरे हुए गर जंगल पहाड़ तो मुड़ो इधर
जो तुम दरिया हो तो समंदर से मिला करो !
ऐसी भी बेरुखी अच्छी नहीं ज़माने के लिए
हमारी ज़िन्दगी न सही अपनी जिया करो !
गम की लकीर पड़ी है तक़दीर पर, मिट जायेगी
तुम अपने नर्म हथेलियों से कभी मिटाया करो !
राहों को भी अरसे से मंज़िल की तलाश है
तुम घर से निकल किसी ओर तो चला करो !
मायूस हैं सारे आफताब की दग़ाबाज़ी से
तफ्तीश ही सही अपनी पलके उठाया करो !
बेज़ार हैं फ़िज़ायें रुकी रुकी है हवा
अपने गेसुओं को खुले में बिखेरा करो !
हमारी खबर न सही अपनी लिया करो !
कहाँ ढूंढते फिरते हो खुद को दौरे हरम में
शौक न हो भटकने का तो हमसे मिला करो !
हमारे सीने में है तुम्हारी बेचैन धड़कन
खुशबू की तरह ही सही साँसों में बसा करो !
चाँद को देखे गर आँखों में जलन होती हो
आँख मूँद कर ही सही मगर पास रहा करो !
पूरे हुए गर जंगल पहाड़ तो मुड़ो इधर
जो तुम दरिया हो तो समंदर से मिला करो !
ऐसी भी बेरुखी अच्छी नहीं ज़माने के लिए
हमारी ज़िन्दगी न सही अपनी जिया करो !
गम की लकीर पड़ी है तक़दीर पर, मिट जायेगी
तुम अपने नर्म हथेलियों से कभी मिटाया करो !
राहों को भी अरसे से मंज़िल की तलाश है
तुम घर से निकल किसी ओर तो चला करो !
मायूस हैं सारे आफताब की दग़ाबाज़ी से
तफ्तीश ही सही अपनी पलके उठाया करो !
बेज़ार हैं फ़िज़ायें रुकी रुकी है हवा
अपने गेसुओं को खुले में बिखेरा करो !