Sunday, March 16, 2014

भूलने का हुनर सिखा जा

छोड़ दूँ तेरा इंतज़ार तू मुझे पागल बना जा
मुझे नहीं न सही, खुद को ही बहला जा !!

ये ज़रा सी दोस्ती ज़रा सी अदावत बेअदब  है       (अदावत-enmity, बेअदब-unmannerly)
इतना कर एक बार मुझे खुद से मिला जा !!

तेरे निगेहबानी पे यकीन है साँसे ले रहा हूँ मैं          (निगेहबानी-guardianship)
मेरी तसल्ली के लिए निसारे जिगर दिखा जा !!     (निसारे जिगर-donated heart)

और न चाहूँ तुझसे तेरी तग़ाफ़ुल काफी है               (तग़ाफ़ुल-deliberate ignorance)
फिर भी, फुर्सत से मुझे मुझमें कहीं जला जा !!

जो यदि तेरी याद सतायेगी ख़ाक होने के बाद
एक एहसान और कर, भूलने का हुनर सिखा जा !!

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

हुत ही खूबसूरती से जिन्दगी के प्रशनो को शब्दों में ढाला है आपने...