Wednesday, April 30, 2014

तेरी खुशबू के लिये

झगड़ रहीं थीं दिशायें
जिनके बीच
सहमी खड़ी थी हवा
अपने आगोश में
लिए तेरी खुशबू

रो रहें थें सजे रास्ते
चुप थें बातूनी पत्ते

खुशी से लहरा रहे थें
तो केवल कुछ घास के तिनके
जिनपे खड़ी थी हवा
लिए तेरी खुशबू


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