Sunday, May 18, 2014

धुआँ बन मैं संग उड़ने को तैयार था

ये हवा जो तेरी खुशबू बाँटने को तैयार होती
धुआँ बन मैं संग उड़ने को तैयार था !!

बादलों में बनते बिगड़ते हर चेहरे से लगा
जो तेरा होता तो मैं रंग भरने को तैयार था !!

सुनहरी तितली कलाबाजी करते आयी मेरे सामने
जो तू सीखती तो मै उसे पकड़ने को तैयार था !!

इस नदी में गहराई तो है लेकिन वैसी नही
जो तेरी खामोशी होती तो मै डूबने को तैयार था !!

उन यादों में अक्सर मिल जाया करती हो तुम
जो तू रोक लेती तो मैं वहीँ रह्ने को तैयार था !!

जो जानता इतनी हसीन होगी तसव्वूर मेँ रात
दुनियादारी भूल मैं खयालों मेँ खोने को तैयार था !!

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