Thursday, May 29, 2014

छोटी है ये ज़िन्दगी, मगर काफी है

Artwork by Linda Apple
हमारी यादों पर तुम्हारी नज़र काफी है
छोटी है ये ज़िन्दगी,  मगर  काफी है

न  चाहा था ज्यादा, मिला  भी  नहीं
जैसे   भी  रहा  है   गुजर   काफी  है

इस  जहां  से  आगे  भी  लम्बा है  रास्ता
वैसे जीने के लिए इतना भी सफ़र काफी है

कितने ही नियत हुयीं ख़राब  अन्धेरे  में
दाग़-ए-दगा मिटाने को ये शहर काफी है

मातम का अँधेरा हो चाहे  जितना  घाना  
हँसी के लिए तो इक नूर-ए-सहर काफी है

सोयी  सोयी  सी  तबियत  है  हर  मंज़र  की
फिर भी, सोह्बत-ए-यार में चंद पहर काफी है

1 comment:

Anonymous said...

waah PK waah !!