राह के काँटों की नोक उतनी भी नहीं थी
और करते क्या जो तेरे नाम पर किया
आजमाईश हमारी क़ैद पे जो हो चुकी हो
तो बता वो जगह जहाँ न तूने हो घर किया
गर्दिशों में सही मगर सितारे मेरे भी चमके
यूँ ही कोशिश ज़माने ने न कम कर किया
जो पहुँचें संगे रंजिश बे यार ही कहीं
बेक़रार नालिशों ने हर इल्ज़ाम सर किया
तन्हाई ने आखिरकार आवाज़ जो लगाई
हर सम्त सन्नाटों ने फिर जिक्र किया
करवट बदलते जो कतरा-ए-ख़्वाब गिरा
रोशन हुआ अँधेरा और बेवक़्त सहर किया
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