Thursday, February 5, 2015

गिरने के डर से गिरे जा रहे हैं

Painting by Vincent van Gogh
गिरने के डर से गिरे जा रहे हैं
मरने से पहले ही मरे जा रहे हैं

ज़िन्दगी का अजीब दौर है यह
जो भी काम मिला करे जा रहे हैं

काँटों ने इल्ज़ाम क्या लगाया
फूलों के रास्ते भी बुहारे जा रहे हैं

हौसले की बुनियाद रिसी भी नहीं
नये मकान तक भरे जा रहे हैं

आईने में अपनी शक्ल देखी भी नहीं 
कि घबरा कर खुद से परे जा रहे हैं

हमें मालूम है बिखरने की हद
तब भी सँवरने से डरे जा रहे हैं

कोई तो ग़लती निकालो हिसाब में
'शादाब' ढेरों इल्ज़ाम मरे जा रहे हैं

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